03 नवंबर 2010

उम्र भर लिखते रहे............!!!

उम्र भर लिखते रहे,हर्फ़-हर्फ़ बिखरते रहे
बस तुझे देखा किये,आँख-आँख तकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.....
कब किसे ने हमें कोई भी दिलासा दिया
खुद अपने-आप से हम यूँ ही लिपटते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे.......
आस हमारे आस-पास आते-आते रह गयी..
हम चरागों की तरह जलते-बुझते रह गए.....!!
उम्र भर लिखते रहे.....
हम रहे क्यूँ भला इतने ज्यादा पाक-साफ़
लोग हमें पागल और क्या-क्या समझते रहे...!!
उम्र भर लिखते रहे....
आज खुद से पूछते हैं,जिन्दगी-भर क्या किये
पागलों की तरह ताउम्र उल्टा-सीधा बकते रहे....!!
उम्र भर लिखते रहे....!!!

3 टिप्‍पणियां:

vandana gupta ने कहा…

आस हमारे आस-पास आते-आते रह गयी..
हम चरागों की तरह जलते-बुझते रह गए.....!

वाह! दर्द को उतार दिया है ……………एक बेहद उम्दा रचना दिल मे उतर गयीं।

कब किसे ने हमें कोई भी दिलासा दिया
खुद अपने-आप से हम यूँ ही लिपटते रहे..

वाह क्या बात कह दी यहां तो…………गज़ब कर दिया।

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

तीसरा शे’अर बहुत अच्छ लगा

Dinesh Saroj ने कहा…

हमारी यही तमन्ना है,
इसी निःस्वार्थ भाव से,
आप लिखते रहें,
औ' हम जैसों को सदा,
लाभान्वित करते रहें...