04 सितंबर 2009

लघुकथा 1

मूर्ति



'चल -अचल संपत्ति में लडके -लड़की का कानूनन हक़ हो गया है !जन्म -मृत्यु ,वैवाहिक रीति -रस्मों की आधार शिला भी समानता हो तो एक नई नारी का जन्म हो जाए !'
'माँ ,आजकल सभी भिन्नता के घेरे से निकल आए हैं !हमारी बुआ सास के बेटी ही बेटी हैं !फूफा ससुर के मरने के बाद कपाल क्रिया उनके नाती (लड़की का बेटा )ने की !'
'यहाँ समानता की बात कहाँ से आन टपकी !लिंग भेद का राज्य स्पष्ट है !कायदे से बेटी को अपने बाप का अन्तिम संस्कार करना था ! लेकिन लडके को प्राथमिकता देकर उसके अस्तित्ब को छोटा कर दिया और बेटी कुछ बोली भी नहीं --आचार संहिता की मूर्ति !

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