07 मई 2009

डॉ0 अनिलचड्डा की कविता - हमेशा के लिये !

कौन
सूली पर
लटकना चाहता है
सच की खातिर
झूठ बोल कर
अपनी जगह
दूसरे को
लटका देना चाहता है
सूली पर
हर कोई
आजकल तो
सभी का है
यही व्यवहार
संज्ञा दे दी जाती है
सच बोलने वाले को
मूर्ख की
और
बाकियों को
कहा जाता है
दुनियादार
दुनिया में
बस चलता है
यही व्यापार
इसीलिये तो
सच बैठ जाता है
एक अंधेरे कोने में
मुँह छुपा कर
जाने कब
चढ़ना पड़ जाये
सलीब पर
झूठ की खातिर
और
चुरा ले ये संसार
सच से मुँह
हमेशा के लिये !
हमेशा के लिये !!
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डा0अनिल चड्डा
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http://anilchadah.blogspot.com
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